Saturday, November 28, 2009


26/11 मुंबई के जाँबाजों को मेरा सलाम

सर्वप्रथम देश के बहादुर सिपाहियों को मेरा सलाम.

ये हमारा दुर्भाग्य ही है कि हमारे देश के नेता जिनके ऊपर देश अपने सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपता है वही नेता देश को सुरक्षा प्रदान करने के बजाय आतंकवाद जैसे गंभीर मसले पर भी राजनीत करते हैं.
जरा सोचें, अगर देश में हेमंत करकरे, संदीप उन्नीकृष्णन, विजय सालसकर, गजेन्द्र सिंह जैसे जांबाज़ सिपाही न होते तो भारत का क्या होता.

भारत माँ को इन शहीद बहादुरों पर नाज़ है. इन सभी बहादुरों को मेरा शत-शत नमन.
न जाने कब वो दिन आएगा जब हमारे देश के नेता आतंकवाद जैसे गंभीर मसले पर राजनीत करना
छोड़ सब मिलकर एक ही सुर में आतंक के विरुद्ध एक युद्ध का ऐलान करेंगे.

एक बार फिर देश के उन बहादुर सिपाहियों को मेरा सलाम.

जय हिंद! जय भारत!

डी एन श्रीवास्तव

Monday, October 19, 2009


जल व्यवस्था के लिए कोटला मुबारकपुर वासियों का
श्री डी एन श्रीवास्तवा को हार्दिक धन्यवाद्
[Please click on the page to have full view]
[बड़े साइज़ में पढने के लिए कृपया पेज पर क्लिक्क करें]















Saturday, October 3, 2009







क्या आपकी भी कोई समस्या है?

क्या आपकी कोई नहीं सुनता?

अस्तित्व में आयें

अपनी समस्या बताएं

हम आपको आपका हक़ दिलाने का

वचन देते हैं

To reach us:
Call / Contact
DN SRIVASTAVA
Cell # 09213505490, 09212593700
FAX # +91-11-24603961
email: hakaurnyayakijung@gmail.com

To join us, please mail your request for membership form.

Thanks
Jai Bharat, Jai Hind

आम आदमी का अस्तित्व



डी एन श्रीवास्तव
संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष
अस्तित्व






आज आम आदमी का न तो कोई वजूद है, न कोई कीमत और इसी लिए आम आदमी कारण कोई पहचान है ही नहीं. इसी कारन आम आदमी का अस्तित्व बहुत तेजी के साथ धूमिल पड़ता जा रहा है. यदि अब भी हम नहीं चेते, नहीं जागे, नहीं समझे तो वो समय ज्यादा दूर नहीं जब हमारा अस्तित्व मिट्टी में मिलकर नष्ट हो जायेगा.

आम आदमी आज केवल कीड़े मकोड़ों की तरह रह गया है. जिस प्रकार सड़क पर चल रहे आदमी के पैरों के नीचे कितने ही कीड़े पिचकर दबकर मर जाते हैं कभी किसीने इस बात की सुध नहीं ली. ठीक उसी प्रकार आम आदमी भी नित्य प्रतिदिन किसी न किसी कारणवश अपनी जान गवां रहा है, चाहे उसका कत्ल हो रहा हो, या किसी घातक बीमारी की इलाज के अभाव में या फिर भूखमरी के कारण.

कारण चाहे कुछ भी हो पर कौन सुध ले रहा है आज आम आदमी के दर्द की?

आम आदमी की तुलना कीड़े से? ये बात हमें भी हज़म नहीं हुई. परन्तु हमने हार नहीं मानी. गहन चिंतन मनन करने पर लगा कि बात में दम है. अब आप भी यदि इस बात पर गौर करें तो पाएंगे कि यह कहना कि आम आदमी आज महज़ कीड़े मकोड़ों की तरह रह गया है ये बात अक्षरशः सत्य है.

तिलचट्टा - जिसे हम कोकरोच के नाम से भी जानते हैं, उसकी जिंदगी कितनी दैनीय है. गटर की सडांध में उसे रहना पड़ता है , सडांध ही खाना पड़ता है, सडांध में ही सारी जिंदगी बितानी पड़ती है. कहते हैं की जब इश्वर तिलचट्टे की उत्पत्ति कर रहा था तब एक काल्पनिक संवाद जो इश्वर और तिलचट्टे के बीच हुई उसपर ज़रा ध्यान दें :

इश्वर: बेटा तिलचट्टे, पैदा तो मैं तुझे कर रहा हूँ पर एक बात समझ ले. तुझे जीने का अधिकार नहीं है.

तिलचट्टा: भगवन, जब जीने का हक़ ही नहीं है तो पैदा ही क्यूँ करते हो?

इश्वर: पैदा तो करना ही होगा, ऐसा विदित है. और तुझे गटर की सडांध में रहना पड़ेगा, सडांध ही खाना पडेगा, सडांध में ही सारी जिंदगी बितानी पड़ेगी.

तिलचट्टा: भगवन, यदि ऐसी बात है तो हमें पैदा करके फ़ौरन मृत्यु को प्राप्त करा दो ताकि
हमें ऐसी दर्दनाक ज़िन्दगी न जीनी पड़े.

इश्वर: एक मजबूरी और भी है कि मरने तुझे दिया नहीं जायेगा.

तिलचट्टा : तो फिर आप ही बताएं कि हम कैसे अपनी जिंदगी बिताएं.

इश्वर: ऐसी ज़िन्दगी जीने के लिए सहनशीलता की अधिकता होनी चाहिए. और सहनशील बनाने के लिए ज़रूरी है कि खून में गर्मी न हो. और खून की गर्मी हटाने के लिए ज़रूरी है खून का रंग लाल न हो. इस कारण मैं तुम्हारे खून का रंग सफ़ेद कर देता हूँ. इससे तुम्हें दो फायदे होंगे. एक - तुम में ज़रुरत से अधिक सहनशीलता आएगी और दूसरा - तुम्हारी मृत्यु जबतक पैरों तले कुचलकर न मारा जाये तबतक नहीं होगी.

तबसे तिलचट्टा एक अत्यंत सहनशील कीड़े माना जाता रहा है. और आसानी से उसकी मृत्यु नहीं होती है.

आज ठीक ऐसी ही ज़िन्दगी आम आदमी की हो गयी है. सडांध में रहना पड़ता है, सडांध ही खाना पड़ता है, सडांध में ही सारी जिंदगी बितानी पड़ती है आम आदमी को. आम आदमी को न तो जीने का हक़ है और न ही उसे मरने दिया जाता है. भूख से बेहाल तडफता आम आदमी जब खुदकुशी करने चलता है तो फ़ौरन कानून के पंजे उसे धर दबोचते हैं और वो आदमी खुदकुशी करने की कोशिश के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया जाता है. अब इस विडम्बना को देखिये. भूख मिटाने को रोटी मांगने पर पुलिस उससे कहती है की रोटी देने का अधिकार उसके पास नहीं है.पर मरने की कोशिश करने पर उसे रोकना कानून है बेशक यह कोशिश भूखमरी के कारणों से ही क्यूँ न हो.

ठीक कीड़े मकोड़ों की तरह ही आम आदमी की सुनने वाला भी कोई नहीं है.
तो बताईये, आप को आम आदमी की ज़िन्दगी क्या कीडे मकोडों की सी नहीं लगती है. क्या फर्क लगा आपको इन दोनों जिंदगियों में? यदि आपका मार्ग दर्शन हमें मिले तो शायद हमें और भी कुछ समझ आये.

ज़रा सोचिये, ऐसा आखिर क्यूँ? क्यूँ कि आम आदमी का खून भी जैसे सफ़ेद हो गया है. हर हर ज़ुल्म और हर अत्याचार सहने कि आदत पद गयी हाय. कुछ भी हो एक बात हमें नहीं भूलना चाहिए कि तिलचट्टे का खून तो भगवान ने सफ़ेद किया था परन्तु आम आदमी ने तो अपना खून स्वयं ही सफ़ेद कर लिया. इस लिए मेरे प्यारे देशवासियों अब वक़्त आ गया है

उठो, जागो, खुद को पहचानो,
अपने हक़ अधिकारों को जानो




Friday, October 2, 2009



अस्तित्व रक्षा हेतु


हक़ और न्याय के ज़ंग की शुरुआत


आज देश में आम आदमी की लड़ाई राजनीती से नहीं है , लडाई सरकारों की नहीं , अच्छे बुरे नेता की भी नहीं है . लडाई पार्टियों की नहीं , लड़ाई सत्ता की नहीं और न ही लडाई कुर्सी की है . सही मायने में आज लडाई तो है हक़ और न्याय को हासिल करने की . आज लडाई है अशिक्षितों को शिक्षित बनाने की . लडाई है अन्याय से . लडाई है आम आदमी को गुमराही से बचाने की . लडाई है रोटी और कपडे की , आम आदमी के लिए एक छत की . लडाई है आर्थिक आज़ादी की . लडाई है समाज में बढ़ते अराजकता से , समाज में फैले भ्रष्टाचार से , समाज में पंख फैलाते उस द्वेष से जहाँ इंसान अपने ही खून का प्यासा हो रहा है . लडाई है उस आतंकवाद से जिसने असंख्य माताओं के की गोअद सूनी कर डालीं , असंख्य अबलाओं को विधवा बना दिया , असंख्य बच्चों को अनाथ बना दिया पर हमारे तथाकथित नेता सिर्फ एक दुसरे नेताओं के मत्थे दोष मढ़कर अपना पल्ला झाड़ कर रह गए.

ज़रा सोचिये , क्या एक पार्टी दुसरे पार्टी को दोषी ठहराकर आम आदमी को वो सब दे सकती है जो उससे छिनता जा रहा है ? कदापि नहीं .


वास्तव में एक नेता जो कुर्सी पर बैठ चूका है उसे न तो किसी प्रकार की असुविधा ही है और न ही कोई परेशानी. उनकी तो हर ज़रुरत, चाहे वो छोटी हो या बड़ी पल भर में पूरी हो जाती है बेशक वो उसके हक़ के अतिरिक्त ही क्यों न हो. वहीँ अपने हक़ की भीख मांगता रह जाता है आम आदमी और अपने हक़ से भी महरूम रह जाता है.

क्या आपने कभी सोचा है की ऐसा आखिर क्यों होता है? इसका मूल कारन आम आदमी ही है.


अनंत काल से इस देश का विभाजन होता चला आ रहा है. कभी धर्म और मज़हब के नाम पर तो कभी जाती के नाम पर. कभी बिरादरी के नाम पर. फिर कभी अमीर गरीब के नाम पर, तो कभी ऊंच नीच के नाम पर कभी भाषा तो कभी प्रान्त के नाम पर. पर देश का सबसे बड़ा विभाजन जो मुझे लगता है वो हुआ पहचान के नाम पर. हमारा देश दो बड़े हिस्सों में बाँट गया. एक वो वर्ग बना जिनकी अपनी एक पहचान थी अपना एक वजूद था, अपनी कोई अहमियत थी और दूसरा वो वर्ग बना जिसकी कोई पहचान थी ही नहीं और न ही उनकी कोई अहमियत ही थी. इस आम आदमी का कोई वजूद था ही नहीं. आप स्वयं देखें और समझने की कोशिश करें. क्या आपको ऐसा नहीं लगता है की आज हमारे देश में जिस वर्ग की पहचान है उस वर्ग के लोगों को हम नेता कह सकते हैं. वहीँ आम आदमी की कोई पहचान नहीं ही. उसका कोई वजूद नहीं है. उसकी कोई अहमियत नहीं है. कहने का मकसद ये है की आम आदमी का कोई आज कोई अस्तित्व नहीं है.


Friday, September 25, 2009


माँ के परम भक्तों,

आज सम्पूर्ण देश एक भयावह अदृश्य अंधकार में डूबता नज़र आ रहा है. चारों ओर आतंकवादियों, भ्रष्टाचारियों, अन्यायिओं एवं अधर्मियों का जैसे साम्राज्य स्थापित हो गया है. कण-कण में एवं जन-जन के ह्रदय में भय का माहौल व्याप्त है. विश्वास में लोगों का विश्वास जैसे पूर्णत: समाप्त हो चूका है. आज बेईमानी का काम पूरी ईमानदारी और तन्मयता के साथ किया जाता है. हमारे जन-प्रतिनिधि जन-हित कार्यों के बजाये निजी हितों के दल-दल में निरंतर धंसते जा रहे हैं. चारों ओर लोग जैसे लाचारी, बेबसी, भूखमरी, बेरोज़गारी एवं गरीबी जैसे कोढ़ जैसी घातक बीमारी से ग्रसित होते जा रहे हैं.

माँ के परम भक्तों, याद करो - जब ऐसा ही अराजकता का वातावरण शुम्भ निशुम्भ, चंड - मुंड एवं महिषासुर जैसे दानवों के राज में हो गया था, तब माँ दुर्गा ने अपने प्रचंड रूप का दर्शन देकर इन दानवों के कुकर्मों से हमें निजात दिलाया था. रावण, कुम्भकरण, मेघनाथ जैसे दैत्यों के अत्याचार से और कंस जैसे दुराचारी असुरों से संसार पलक श्री हरी विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्री राम एवं कृष्ण रूप में पृथिवी पर अवतरित होकर उनका संहार कर लोगों को उनके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी.

क्या हमें भी माँ दुर्गा, भगवान राम एवं कृष्ण से यह प्रेरणा नहीं लेनी चाहिए और मिलकर ऐसी शक्तियों के विरुद्ध बुलंद आवाज़ एवं कदा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे समाज में व्याप्त आतंक एवं भ्रष्टाचार का पूर्णत: सफाया हो सके ताकि चारों ओर प्रेम, सौहार्द, भाईचारा एवं अपनापन का वातावरण पुन: स्थापित हो सके? पूर्व की भांति एक बार फिर हमारे देश में डाल-डाल पर सोने की चिडियों का बसेरा हो सके? समाज में लोगों के हृदय से धर्म, जात-पात, अमीरी-गरीबी, ऊंच-नीच का भेद-भाव सदा सदा के लिए विलुप्त हो जाये एवं दसों दिशाओं में मंगलमय ध्वनी गुंजायमान हो? शायद ऐसा करने से माँ भी हमपर मेहरबान होकर अपने आर्शीवाद की वर्षा करें.

आप अपने को कदापि लाचार, बेबस एवं असहाय महसूस न करें. अपने हक़ और न्याय को हासिल करने आगे बढें. हम आपके हक़ की लडाई में सदैव आपके साथ हैं. ज़रुरत है सिर्फ आपके हिम्मत की और आत्म विश्वास की. अपने हक़ के लिए अंतिम सांस तक लड़ना आपका परम कर्त्तव्य है. अस्तित्व का हर सदस्य आपको आपका हक़ दिलाने का वचन देता है.

हक़ और न्याय की ज़ंग में आप माँ की विशेष कृपा के पात्र हों एवं विजयश्री आपके कदम चूमे.

आशा की दीपक को सदैव ज्वालायमान रखने हेतु माँ से आप सबपर असीम अनुकम्पा एवं कृपा बनाये रखने की प्रार्थना करता हूँ.

"अस्तित्व" का हाथ, सदैव आपके साथ.

अस्तित्व की रक्षा करो. यह अनमोल है.

अस्तित्व संवारों,
व्यक्तित्व निखारो,
पुरुषार्थ उभारो,
तेजस्वी बनो.

डी एन श्रीवास्तव

Sunday, September 13, 2009

HAK AUR NYAY KI JUNG

My dear countrymen,

CONSTITUTION OF BHARAT GIVES US THE RIGHT TO LIVE A HAPPY LIFE. IT GIVES US THE RIGHT TO JUSTICE, RIGHT TO EDUCATION, RIGHT TO FREEDOM OF SPEECH, RIGHT TO GOOD HEALTH, RIGHT TO FOOD & MANY MORE ... .

BUT, TODAY WE FIND VIOLATION OF HUMAN RIGHTS EVERYWHERE. VIOLATION OF CHILD RIGHTS EVERYWHERE, WOMEN RIGHTS EVERYWHERE, YOUTH RIGHTS EVERYWHERE, CORRUPTION EVERYWHERE, INJUSTICE EVERYWHERE.

IN OTHER WORDS, WE FIND PROBLEMS EVERYWHERE. EVERYONE IS IN SOME OR THE OTHER PROBLEM. IT IS BASICALLY DUE TO THE FACT THAT A COMMON MAN IS DEPRIVED OF JUSTICE AND BASIC FUNDAMENTAL RIGHTS.

IT IS OBSERVED THAT THERE IS NO ONE TO HEAR THE PROBLEMS OF A COMMON MAN. A COMMON MAN TODAY, IS LEFT WITH NO OPTION BUT TO LIVE IN TRIBULATION, PROBLEM, TROUBLE, HARM & ALL EVIL OF THE SOCIETY.

IN MY OPINION, A COMMON MAN HAS NOW BECOME THE OPPRESSED PART OF THE SOCIETY.

ASTITVA
AS AN ORGANIZATION, HELPS YOU TO FIGHT FOR JUSTICE AND RIGHT.

PLEASE DO REMEMBER

IF YOU TOO HAVE A PROBLEM
IF THERE IS NOBODY TO HEAR YOU
IF THERE IS NOBODY
TO SORT YOUR PROBLEM OUT

DON'T GET DISHEARTENED,
COME TO US
WE PROMISE TO GET YOU
YOUR RIGHTS & JUSTICE.