26/11 मुंबई के जाँबाजों को मेरा सलाम
ये हमारा दुर्भाग्य ही है कि हमारे देश के नेता जिनके ऊपर देश अपने सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपता है वही नेता देश को सुरक्षा प्रदान करने के बजाय आतंकवाद जैसे गंभीर मसले पर भी राजनीत करते हैं.
जरा सोचें, अगर देश में हेमंत करकरे, संदीप उन्नीकृष्णन, विजय सालसकर, गजेन्द्र सिंह जैसे जांबाज़ सिपाही न होते तो भारत का क्या होता.
भारत माँ को इन शहीद बहादुरों पर नाज़ है. इन सभी बहादुरों को मेरा शत-शत नमन.
न जाने कब वो दिन आएगा जब हमारे देश के नेता आतंकवाद जैसे गंभीर मसले पर राजनीत करना
छोड़ सब मिलकर एक ही सुर में आतंक के विरुद्ध एक युद्ध का ऐलान करेंगे.
एक बार फिर देश के उन बहादुर सिपाहियों को मेरा सलाम.
जय हिंद! जय भारत!
डी एन श्रीवास्तव
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