जनता के पैसों को लग रहा चूना
जनता खामोश बनी मूक दर्शक
जनता के पैसों का दुरूपयोग रोकने में लगे हैं आज कल अस्तित्व फाऊनडेशन के संस्थापक डी एन श्रीवास्तव | उनका मानना है कि किसी भी तरह भ्रष्टाचार से निपटने में एक बड़ी सफलता हाथ लाग सकती है यदि हम जनता के पैसों के दुरूपयोग पर अंकुश लगा सकें | उनकी कोशिश है कि मुद्दा चाहे बड़ा हो या छोटा पर जनता के पैसों के सदुपयोग से हम न जाने कितने गरीबों कि परवरिश बेहतर ढंग से कर सकते हैं |
इन्हीं कोशिशों के दौरान आर टी आई के माध्यम से पता चला है कि दिल्ली नगर निगम और दिल्ली पुलिस द्वारा अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वाह पूरी इमानदारी से नहीं किया जाता है |
हाल ही में हुए एक तोड़ फोड़ कार्यवाही में सरकारी ज़मीन पर दिल्ली पुलिस के दक्षिण जिला और एम् सी डी के मध्य क्षेत्र में कोटला मुबारकपुर थानान्तर्गत स्थित सेवा नगर में लम्बे अरसे से बसे और चल रहे फल मंडी को नेस्त नाबूत कर दिया गया| दिल्ली नगर निगम मध्य क्षेत्र और दिल्ली पुलिस की मिली जुली इस कार्यवाही की असलियत का हुआ बड़ा खुलासा| आर टी आई आवेदनों द्वारा जो असलियत खुलकर सामने आई वो गंभीर रूप से चौका देने वाली थी| पता चला कि ये तोड़ फोड़ और कब्ज़ा हटाने का काम दिल्ली नगर निगम महज़ अपने फायदा और निजी स्वार्थ की खातिर करती है|
क्षेत्र के लोगों से बात कर पता चला कि इस मण्डी को दस सालों में दस से भी अधिक बार ढहाया जा चुका है| आपको जानकार हैरानी होगी कि कब्ज़ा हटा कर नगर निगम के अधिकारी और पुलिस अधिकारी तो वहां से अभी जा भी नहीं पाते हैं कि अगले ही क्षण फल की दुकाने फिर उसी अंदाज़ में जस की तस लगा दी जाती हैं| मानो जैसे पहले से ही कोई समझोता रहा हो एम् सी डी और दुकानदारों के बीच|
ये सच है या नहीं जरा नीचे दिए गया तथ्यों पर नज़र डालें आप खुद ब खुद समझ जायेंगे सच्चाई:
- ज़रा सोचिये - आपके माकन, दुकान या ज़मीन पर किसी का नाजायज़ कब्ज़ा हो गया हो
- और आपकी शिकायत पर अदालत या सरकर उसे कब्ज़े से हटा देती है
- और आपको आपके मकान का खाली कब्ज़ा दे देती है
- तो उस माकन कि निगरानी करना और इस बात को सुनिश्चित करना कि मकान पर दुबारा किसी का कब्ज़ा न हो जाये एब ज़िम्मेदारी तो ज़मीन या मकान के मालिक की बनती है| या फिर आपकी राय में किसी और की बनती है?
- और यदि दुबारा फिर से किसी का कब्ज़ा हो जाये तो गुनाहगार या दोशी कौन है?
- वर्ना सोचो खाली कराई गयी ज़मीन पर दोबारा कब्ज़ा कैसे हो जाता है?
- क्या कब्ज़ा होते वक्त पुलिस को दिखता नहीं है?
- क्या कब्ज़ा होते ही उसे हटाया नहीं जा सकता है?
- क्या एम् सी डी के लोग सिर्फ ये देखने के लिए होते हैं कि कौन से मकान का लेंटर डाला जा रहा है जहाँ से उन्हें फायदा है?
- और ये भी सच है कि फल मंदी पिछले दस सालों में तोड़फोड़ के कारण कुल मिलाकर एक माह के लिए भी बंद न की गयी हो बल्कि बेधड़क तरीके से दुकाने चली ज़रूर हैं - तो क्यूँ न इन दुकानों को चलाने के लिए इज़ाज़त ही दे दी जाये? आखिर दुकाने तो चल ही रही हैं| कम से कम लोगों के निजी पाकेट / जेब भारी होने कि बजाये सरकारी तिजोरी भारी होगी| इससे जनता और सरकार दोनों ही का भला होगा|
आर टी आई एक्ट, 2005 में दिल्ली पुलिस से मांगी गयी सूचना
दिल्ली पुलिस द्वारा उपलब्ध कराई गयी सूचना
एम् सी दी से मांगी गयी सूचना
एम् सी दी द्वारा उपलब्ध कराई गयी सूचना
दी गयी आधी अधूरी सूचना पर प्रथम अपील में किया गया आदेश
नीचे दिए सवालों को पढ़िए, ज़रा सोचिये और बताइए :
मान लीजिये आप मकान मालिक हैं और
- यदि आपके मकान पर किसी का कब्ज़ा हो गया हो, और
- कब्ज़ा खाली करने के लिए आपने सरकार को या अदालत को शिकायत की हो, और फिर
- सरकार या अदालत के आदेश पर कब्ज़ा हटा दिया गया हो, तो फिर
दोबारा उस मकान पर किसी का कब्ज़ा न हो जाये, इस बात को सुनिश्चित करना
बतौर मकान मालिक आपका कर्त्तव्य है या फिर सरकार यानि अदालत और पुलिस इसकी ज़िम्मेदारी लेगी?
निश्चित तौर पर आपका ज़वाब होगा - मकान मालिक
अब जरा ऊपर दिया गया एम् सी डी द्वारा तर्क पढ़िए
एम् सी डी का कहना है कि सरकार की जिस ज़मीन पर से लाखों रूपये खर्च कर कब्ज़ा हटाया गया उस ज़मीन पर दोबारा किसीका कब्ज़ा न हो ये निगरानी दिल्ली पुलिस की ज़िम्मेदारी है|
वहीँ दूसरी ओर दिल्ली पुलिस का कहना है कि सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा न हो जाये इस बात कि निगरानी करना एम् सी डी कि ज़िम्मेदारी है |
लेकिन ज़रा सोचिये, क्या दिल्ली पुलिस और एम् सी डी की मिली भगत के बगैर क्या सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा मुमकिन है? बल्कि यूँ कहें कि दिल्ली पुलिस और एम् सी डी के ही लोग सरकारी ज़मीनों पर अपने निजी स्वार्थ के वशीभूत कब्ज़ा होते देखकर भी चुप रहते हैं |
आप ऊपर दिए कागजातों को ध्यान से पढ़ें, ये कागजात हमें दिए गए हैं एम् सी डी द्वारा एक आर टी आई के ज़वाब में | आप खुद बी खुद सब समझ जायेंगे |
अभी कुछ आर टी आई में कुछ वाँछि कागजातों का इंतज़ार है जैसे ही हमें मिल जायेगा हम आपके फ़ौरन रख देंगे |
उल्लेखनीय है की जिस ज़मीन की बात हो रही है वो ज़मीन सरकार की है और उसपर फल-मण्डी बहुत लम्बे अरसे से चल रहा है | और जनता के मुताबिक इस फल मण्डी को पिछले लगभग दस सालों में दस बार उजाड़ा जा चूका है | जिसमे लाखो रुपयों का खर्च हो चूका है | पर आपको जानकर हैरत होगी कि कब्ज़ा हटाने के बाद कुछ ही घंटों में वही फल मण्डी दोबारा लगी वो भी पहले से कहीं अधिक सज संवर कर |
आज फल मण्डी पूरे शान ओ शौकत से चल रही है | क्या एम् सी डी और दिल्ली पुलिस को दिखाई नहीं दे रहा है?
यदि पिछले रिकार्ड को देखा जाये तो पिछले कई दशकों में ये मण्डी यदि दस बार तोड़ी गयी है तो सिर्फ दस घंटो के लिए ही नहीं लगी पर दस दशकों में सिर्फ दस घंटों को छोड़कर बाकि पूरे समय में शान से लगी रही है |
इससे दो मुख्या बातों का बड़ी सफाई से खुलासा होता है :
पहला तो ये कि फल मण्डी वालों की दिल्ली पुलिस और एम् सी डी से सांठ गांठ काफी अच्छी है , और
दूसरा ये कि मण्डी हटी कुछ ही समय के लिए और लगी हमेश रही |
तो क्यों न इस मण्डी को वैध करार दे दिया जाये? इससे फिर दो फायदे हैं:
पहला ये कि साल में दो बार इसे हटाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी, और
दूसरा ये कि सरकार को भी लाइसेंस फीस के बहाने इन दुकानों से कुछ रेवेन्यु आने लग जायेगा |
जनता के पैसों का दुरूपयोग जो इस मण्डी को हटाने में हो रहा है वो बंद होगा और सरकार के कोष में धन लाभ |
क्यों कुछ गलत कहा हमने???? .
उठो, जागो - हक़ और न्याय के लिए करो धर्म युद्ध की तैयारी|
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