Friday, September 25, 2009


माँ के परम भक्तों,

आज सम्पूर्ण देश एक भयावह अदृश्य अंधकार में डूबता नज़र आ रहा है. चारों ओर आतंकवादियों, भ्रष्टाचारियों, अन्यायिओं एवं अधर्मियों का जैसे साम्राज्य स्थापित हो गया है. कण-कण में एवं जन-जन के ह्रदय में भय का माहौल व्याप्त है. विश्वास में लोगों का विश्वास जैसे पूर्णत: समाप्त हो चूका है. आज बेईमानी का काम पूरी ईमानदारी और तन्मयता के साथ किया जाता है. हमारे जन-प्रतिनिधि जन-हित कार्यों के बजाये निजी हितों के दल-दल में निरंतर धंसते जा रहे हैं. चारों ओर लोग जैसे लाचारी, बेबसी, भूखमरी, बेरोज़गारी एवं गरीबी जैसे कोढ़ जैसी घातक बीमारी से ग्रसित होते जा रहे हैं.

माँ के परम भक्तों, याद करो - जब ऐसा ही अराजकता का वातावरण शुम्भ निशुम्भ, चंड - मुंड एवं महिषासुर जैसे दानवों के राज में हो गया था, तब माँ दुर्गा ने अपने प्रचंड रूप का दर्शन देकर इन दानवों के कुकर्मों से हमें निजात दिलाया था. रावण, कुम्भकरण, मेघनाथ जैसे दैत्यों के अत्याचार से और कंस जैसे दुराचारी असुरों से संसार पलक श्री हरी विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्री राम एवं कृष्ण रूप में पृथिवी पर अवतरित होकर उनका संहार कर लोगों को उनके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी.

क्या हमें भी माँ दुर्गा, भगवान राम एवं कृष्ण से यह प्रेरणा नहीं लेनी चाहिए और मिलकर ऐसी शक्तियों के विरुद्ध बुलंद आवाज़ एवं कदा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे समाज में व्याप्त आतंक एवं भ्रष्टाचार का पूर्णत: सफाया हो सके ताकि चारों ओर प्रेम, सौहार्द, भाईचारा एवं अपनापन का वातावरण पुन: स्थापित हो सके? पूर्व की भांति एक बार फिर हमारे देश में डाल-डाल पर सोने की चिडियों का बसेरा हो सके? समाज में लोगों के हृदय से धर्म, जात-पात, अमीरी-गरीबी, ऊंच-नीच का भेद-भाव सदा सदा के लिए विलुप्त हो जाये एवं दसों दिशाओं में मंगलमय ध्वनी गुंजायमान हो? शायद ऐसा करने से माँ भी हमपर मेहरबान होकर अपने आर्शीवाद की वर्षा करें.

आप अपने को कदापि लाचार, बेबस एवं असहाय महसूस न करें. अपने हक़ और न्याय को हासिल करने आगे बढें. हम आपके हक़ की लडाई में सदैव आपके साथ हैं. ज़रुरत है सिर्फ आपके हिम्मत की और आत्म विश्वास की. अपने हक़ के लिए अंतिम सांस तक लड़ना आपका परम कर्त्तव्य है. अस्तित्व का हर सदस्य आपको आपका हक़ दिलाने का वचन देता है.

हक़ और न्याय की ज़ंग में आप माँ की विशेष कृपा के पात्र हों एवं विजयश्री आपके कदम चूमे.

आशा की दीपक को सदैव ज्वालायमान रखने हेतु माँ से आप सबपर असीम अनुकम्पा एवं कृपा बनाये रखने की प्रार्थना करता हूँ.

"अस्तित्व" का हाथ, सदैव आपके साथ.

अस्तित्व की रक्षा करो. यह अनमोल है.

अस्तित्व संवारों,
व्यक्तित्व निखारो,
पुरुषार्थ उभारो,
तेजस्वी बनो.

डी एन श्रीवास्तव

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